प्रचेताआयुर्वेदिक क्लीनिक एवं पंचकर्म सेंटर में तैयार स्वर्ण प्राशन ड्रॉप बच्चों की विकृति दूर कर बढ़ाएगी रोग प्रतिरोधक क्षमता। अब पुष्यनक्षत्र पर आपके बच्चों को पिलाई गई आयुर्वेदिक ड्रॉप उन्हें विलक्षण और प्रतिभावान बनाएगी। साथ ही बच्चों की रचनात्मक और क्रियात्मक विकृतियों को दूर करेगी। इनका प्रयोग न केवल मंदबुद्धि बच्चों बल्कि गर्भ के अंदर अपरिपक्व शिशु के विकास के लिए भी किया जा सकेगा। यानी अनेक माताएं जिनके शिशु का मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है और वे शिशु को जन्म नहीं दे पाती, उनके लिए भी यह ड्रॉप लाभदायक साबित होगी।
स्वर्ण भस्म शरीर के प्रत्येक टिस्सु और कोशिका में प्रवेश कर वहां के असंतुलन या विकृति को सही करती है। यह ड्रॉप पुष्य-नक्षत्र पर पिलाई जाए, तो इसके विशेष चमत्कार देखने को मिलते हैं, क्योंकि इस दिन ग्रहों की शक्तियां ज्यादा होती हैं। पुष्य नक्षत्र हर महीने में एक बार आता है, इसलिए पुष्य नक्षत्र पर बच्चों को लगातार 5 से 7 साल तक यह ड्रॉप पिलाने से शरीर के प्रत्येक अंग-प्रत्यंग की शक्ति और क्षमताओं की वृद्धि करती है और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाती है।
शास्त्रों में संस्कार का उल्लेख कश्यप संहिता और सुश्रुत संहिता में भी है। यह प्राचीन समय से चला आ रहा है। पुराने समय माता-पिता अपने बच्चे के जन्म लेने के बाद जीभ पर चांदी या सोने की सिलाई से ऊं लिखते थे, लेकिन अब यह संस्कार विलुप्त हो गया है।
विकृतियों को ठीक कर बीमार या विकृत कोशिकाओं को पुन: सक्रिय एवं जीवंतता प्रदान करता है। शरीर में विकृति स्वरूप ट्यूमर इत्यादि की सेल्स को नष्ट करता है। यानि कैंसर आदि रोगों से बचाता है। यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। शरीर में अनेक प्रकार के विषैले पदार्थों को दूर करता है। सूजन की प्रक्रिया को रोकता है। याददाश्त और एकाग्रता को बढ़ाता है। जिससे अध्ययनरत बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हार्ट मसल्स को शक्ति देता है और शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है।
क्या है स्वर्णप्राशन ड्रॉपशहद और घी में स्वर्ण भस्म को मिलाकर यह ड्रॉप तैयार की गई है। साथ ही इसमें कुछ टॉनिक मिलाए गए हैं, जो मेधा शक्ति को बढ़ाते हैं। शोध के अनुसार मस्तिष्क और आंखों के विकास में स्वर्णप्राशन का विशेष महत्व है। आधुनिक शोध रिसर्च के अनुसार घी में विद्यमान डीएचए और ओमेगा थ्री फैट्टी एसिड डवलपिंग ब्रेन और रेटिनल टिसु के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देता है। साथ ही शहद और घी शरीर में रोगाणुओं से लडऩे के लिए शरीर में एंटीबॉडीज की प्रक्रिया को उत्प्रेरित करते हैं।